कब कहां और कैसे अवतार लेंगे कल्कि भगवान
कल्कि को भगवान विष्णु का भावी और अंतिम अवतार माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पृथ्वी पर पाप की सीमा पार होने लगेगी तब दुष्टों के संहार के लिए विष्णु का यह अवतार प्रकट होगा। भागवत पुराण में (स्कंध 12, अध्याय 2) कल्कि अवतार की कथा विस्तार से है। कथा के अनुसार सम्भल ग्राम में कल्कि का जन्म होगा।
अपने माता पिता की पांचवीं संतान कल्कि यथासमय देवदत्त नाम के घोड़े पर आरूढ़ होकर तलवार से दुष्टों का संहार करेंगे। तब सतयुग का प्रारंभ होगा। कल्कि अवतार का स्वरूप और आख्यानों पर अक्सर चर्चा हुई है। सबसे पुरानी मीमांसा साम्यवादी विचारक सत्यभक्त की है। उनके अनुसार जो भी सार्वभौम सत्य और युगीन सिद्धान्त को व्यक्त करते है वे सभी अवतार के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं।
कौन होंगे कल्कि के माता पिता?
इस अभिव्यक्ति की सघनता और विरलता के अनुसार ही अवतारी शक्तियों के स्तर या कलाएं तय की जाती है। बुद्ध से पहले कृष्ण को सोलह कलाओं का अवतार माना गया। सभी अवतारों नें अपनी तरह से दुष्टों का और उनकी दुष्टता का दलन किया। अब जिस अवतार का इंतजार किया जा रहा है, वह निष्कलंक होगा। कला, कांति, शौर्य और दैवी गुणों में उत्कट।
भागवत में कल्कि का संक्षिप्त विवरण ही है। उनके चरित और जीवन का विशद वर्णन 'कल्कि पुराण' में है। अध्येताओं के अनुसार भागवत और कल्किपुराण में अंतिम अवतार के बारे में जो उल्लेख किए गए हैं, वे आलंकारिक हैं। उसका रूपक समझना चाहिए। कल्कि का स्वरूप और आशय समझना चाहिए।
पुराण के अनुसार कल्कि के पिता का नाम विष्णुयश और माता का नाम सुमति होगा। पिता विष्णुयश का अर्थ हुआ, ऐसा वयक्ति जो सर्वव्यापक परमात्मा की स्तुति करता लोकहितैषी है। सुमति का अर्थ है अच्छे विचार रखने और वेद, पुराण और विद्याओं को जानने वाली महिला।
भागवत में कल्कि का संक्षिप्त विवरण ही है। उनके चरित और जीवन का विशद वर्णन 'कल्कि पुराण' में है। अध्येताओं के अनुसार भागवत और कल्किपुराण में अंतिम अवतार के बारे में जो उल्लेख किए गए हैं, वे आलंकारिक हैं। उसका रूपक समझना चाहिए। कल्कि का स्वरूप और आशय समझना चाहिए।
पुराण के अनुसार कल्कि के पिता का नाम विष्णुयश और माता का नाम सुमति होगा। पिता विष्णुयश का अर्थ हुआ, ऐसा वयक्ति जो सर्वव्यापक परमात्मा की स्तुति करता लोकहितैषी है। सुमति का अर्थ है अच्छे विचार रखने और वेद, पुराण और विद्याओं को जानने वाली महिला।
ऐसा होगा कल्कि भगवान का स्वरूप
कल्कि निष्कलंक अवतार हैं। भगवान का स्वरूप (सगुण रूप) परम दिव्य होता है। दिव्य अर्थात दैवीय गुणों से संपन्न। वे श्वेत अश्व पर सवार हैं। भगवान का रंग गोरा है, परन्तु क्रोध में काला भी हो जाता है। वे पीले वस्त्र धारण किए हैं।
प्रभु के हृदय पर श्रीवत्स का चिह्न अंकित है। गले में कौस्तुभ मणि है। स्वयं उनका मुख पूर्व की ओर है तथा अश्व दक्षिण में देखता प्रतीत होता है। यह चित्रण कल्कि की सक्रियता और गति की ओर संकेत करता है। युद्ध के समय उनके हाथों में दो तलवारें होती हैं।
प्रभु के हृदय पर श्रीवत्स का चिह्न अंकित है। गले में कौस्तुभ मणि है। स्वयं उनका मुख पूर्व की ओर है तथा अश्व दक्षिण में देखता प्रतीत होता है। यह चित्रण कल्कि की सक्रियता और गति की ओर संकेत करता है। युद्ध के समय उनके हाथों में दो तलवारें होती हैं।
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