भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को सुबह 10:15 पर गुजरात राज्य के वड़नगर के 25000 साल पुराने मेहसाणा में हुआ था । मोदी जी की कुंडली तुला लग्न और वृश्चिक राशि की है जन्म का नक्षत्र अनुराधा है जो कि दूसरे चरण में उनका जन्म हुआ है । ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी ने पत्रिका डॉट कॉम को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्तमान कुंडली के अनुसार गुरु और चंद्रमा ये दो ग्रहों का ऐसा योग बना रहा हैं जिस कारण इन्हें दोबारा भारत का प्रधानमंत्री बनने से कोई भी नहीं रोक सकता ।
पं. अरविंद तिवारी के अनुसार मोदी जी की कुंडली में ग्रहों की स्थिति किस प्रकार है उच्च का बुध वक्री और भाग्य का स्वामी होकर, वह सूर्य और केतु के साथ बारहवें भाव में पड़ा हुआ है । वही पंचम भाव का स्वामी शनि शुक्र के साथ युति बनाकर एकादश भाव में है तथा पराक्रम भाव का स्वामी गुरु पंचम भाव में पड़ा हुआ है, एवं छठे भाव में राहु और बारहवें भाव का केतु कुंडली में अरिष्ट नाशक योग बना रहा है । अरिष्ट नाशक योग के कारण मोदी जी राजनीति में आने वाली सारी बाधाओं को पार करके यहां तक पहुंचे हैं और आगे भी यही कारवां चलता रहेगा ।
ये ग्रह दोबारा बनायेंगे मोदी को पॉवरफुल प्रधानमंत्री
पं. अरविंद तिवारी ने बताया की वर्तमान में मोदी जी की कुंडली से पता चलता हैं कि इनके ऊपर अभी कर्मेश चंद्रमा की महादशा चल रही है जो कि 10 जुलाई 2022 तक चलेगी । इसी बीच ये दोबारा भारत के और ज्यादा पॉवरफूल प्रधानमंत्री भी बनेंगे । क्योंकि वर्तमान में गुरु का गोचर तुला राशि लग्न में चल रहा है, जो इनकी राशि से बारहवें भाव में होने के कारण वर्तमान में मोदी जी कुछ परेशानियों का अनुभव भी करते रहे हैं । लेकिन आगामी 14 अक्टूबर 2018 से गुरु का गोचर इनकी राशि में होगा जो कि 13 महीने तक इनकी राशि में ही चलता रहेगा जिसके परिणाम स्वरुप मोदी जी एक बार पुनः भारत के प्रधानमंत्री पद पर अवश्य सुशोभित होंगे ।
मोदी जी की कुंडली में राहु छठे भाव में है जिसके चलते वर्तमान में ग्रहों की स्थिति इनके पक्ष में आने जा रही है । भारतीय जनता पार्टी की कुंडली इस प्रकार है भाजपा भी मिथुन लग्न और वृश्चिक राशि की पार्टी है तथा नरेंद्र मोदी की राशि भी वृश्चिक है । वृश्चिक राशि में गुरु का प्रवेश भाजपा और नरेंद्र मोदी दोनों ही के लिए बेहद लाभकारी होने वाला एवं आगामी चुनाव भाजपा और PM नरेंद्र मोदी को देश के शीर्ष स्तर पर अवश्य पहुंचाने जा रहा है और यह परिस्थिति 2024 तक लगातार बनी रहेगी । मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनते ही दूसरी राजनितीक विपक्षी पार्टीयां हार के बाद कुछ का तो अस्तित्व खत्म होने की कगार पर रहेगा ।
देश दुनिया के इन दो महापुरुषों से मिलती है मोदी की कुंडली
1- बाल गंगाधर तिलक की परछाई
17 नंवंबर 1950 में जन्मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली भारतीय राजनेता और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाल गंगाधर तिलक की कुंडली से बहुत मिलती जुलती है । तिलक राजनीति के उग्रपंथी नेता माने जाते हैं और ये बात मोदी में भी साफ दिखाई देती है । दोनों की कुंडली में राहु की अंतरदशा की मौजूदगी है ।
17 नंवंबर 1950 में जन्मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली भारतीय राजनेता और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाल गंगाधर तिलक की कुंडली से बहुत मिलती जुलती है । तिलक राजनीति के उग्रपंथी नेता माने जाते हैं और ये बात मोदी में भी साफ दिखाई देती है । दोनों की कुंडली में राहु की अंतरदशा की मौजूदगी है ।
2- जर्मनी को सुपरपॉवर बनाने वाले बिस्मार्क के भी तेवर
यही खासियतें जर्मनी को सुपरपॉवर बनाने वाले नेता ओटो वॉन बिस्मार्क की कुंडली में भी पायी जाती हैं । बिस्मार्क का जर्मन एकीकरण के पीछे बहुत महत्वपूर्ण सहयोग था । शायद यही कारण है कि बिस्मार्क की नीतियों की झलक मोदी के फैसलों में भी दिखाई देती है । एक बार वीरप्पा मोइली ने भी मोदी की तुलना बिस्मार्क से की थी ।
यही खासियतें जर्मनी को सुपरपॉवर बनाने वाले नेता ओटो वॉन बिस्मार्क की कुंडली में भी पायी जाती हैं । बिस्मार्क का जर्मन एकीकरण के पीछे बहुत महत्वपूर्ण सहयोग था । शायद यही कारण है कि बिस्मार्क की नीतियों की झलक मोदी के फैसलों में भी दिखाई देती है । एक बार वीरप्पा मोइली ने भी मोदी की तुलना बिस्मार्क से की थी ।
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