महिलाओं के द्वारा मनाया जाने वाला हरियाली तीज पर्व के बाद अब समय है कजरी तीज के त्यौहार का, हरियाली तीज की तरह ही कजरी तीज का भी विशेष महत्व है इस बार कजरी तीज रक्षाबंधन के ठीक तीन दिन बाद यानी की 28 अगस्त को मनाई जायेगी । कजरी तीज में सुहागन महिलाएं अपने जीवन साथी की लंबी उम्र के लिए व्रत-उपवास रखती है, और कुवारी लड़कियां मनवांछित वर की प्राप्ति की कामना से यह व्रत रखती हैं । यह त्यौहार बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और राजस्थान राज्यों में मुख्य रूप में मनाया जाता है ।
महत्व
प्राचीन कथानुसार मध्य भारत के राज्य में कजली या कजरी नाम का एक वन था, और वहां के लोग कजली के नाम पर कई सारे गीत गाते थे, एक दिन वहां के राजा की मृत्यु हो गई जिसके बाद उनकी रानी भी सती हो गईं । वहां के लोग इस बात से बड़े ही दुखी रहने लगे, तब से वे कजली के गीत पति और पत्नी के प्रेम से जोड़कर गाने लगे, कजरी तीज पर सुहागन औरतें कजरी खेलने अपने मायके जाती हैं और उपवास रहकर पति की लंबी आयु की कामना करती है ।
प्राचीन कथानुसार मध्य भारत के राज्य में कजली या कजरी नाम का एक वन था, और वहां के लोग कजली के नाम पर कई सारे गीत गाते थे, एक दिन वहां के राजा की मृत्यु हो गई जिसके बाद उनकी रानी भी सती हो गईं । वहां के लोग इस बात से बड़े ही दुखी रहने लगे, तब से वे कजली के गीत पति और पत्नी के प्रेम से जोड़कर गाने लगे, कजरी तीज पर सुहागन औरतें कजरी खेलने अपने मायके जाती हैं और उपवास रहकर पति की लंबी आयु की कामना करती है ।
कजरी तीज
कजरी तीज में माता पर्वती की प्रतिमा का जुलूस निकाला जाता है, कंवारी लड़कियां घूमर नृत्य भी करती है । विवाहित महिलाएं इस दिन पतियों की दीर्घ जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं, पूजा में अखण्ड दीपक जलाकर पूरी जागती हैं । इस दिन महिलाएं हाथ में मेंहदी लगाती हैं और सोलह श्रृंगार भी करती है ।
महिलाएं कजरी तीज पर्व के दिन स्वादिष्ट स्वादिष्ट भोजन पकवान बनाती हैं, जैसे मालपुवा और घेवर के कई विशेष व्यंजन भी तैयार किए जाते हैं । माता पार्वती के सामने गाना गाते हुए नृत्य भी करती हैं । चारों तरफ हरियाली ही हरियाली का आनंद लेते हुए इस दिन झूला झूलते हुए गीत भी गाती है ।
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