WARRIORS OF MAHABHARAT

Downolad Latest Movies . and Serial here for free

ad

Featured post

How to download mahabharat starplus

दोस्तो हमारी सहायता करने के लिये नीचे दिये ads per click कीजिये। How to download mahabharat in android phone Step 1- download  and i...

Monday, 20 August 2018

संतान सुख प्राप्त करने के लिए आनें वाला सबसे अच्छा मौका, करें यह महाव्रत


सावन माह के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। पुत्रदा एकादशी के को पवित्रा एकादशी भी कहा जाता है। इस साल पुत्रदा एकादशी 22 अगस्त को है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूर्ण श्रृद्धा और नियमों के अनुसार व्रत व आराधना करता है उसके पूर्व जन्म के पाप कट जाते हैं। इसी के साथ इस एकादशी के व्रत से संतान एवं संपदा का सुख मिलता हैं। एकादशी के दिन सुबह जल्दी सन्ना करके भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इस दिन व्रत रखने के बाद आपको शाम के समय फल ग्रहण करना चाहिए। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की भक्ति कर किर्तन करना चाहिए। व्रत पुर्ण होने के बाद दूसरे दिन सुबह ब्रह्मणों को भोजन करा कर उन्हें दान-दक्षिणा देनी चाहिए। इसके बाद ही आपको भोजन ग्रहण करना चाहिए।
ekadashi vrat
पुत्रदा एकादशी क्या है
हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन माह में शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन एकादशी आती है। एकादशी के दिन महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए यह व्रत सखतीं हैं। यह एकादशी सावन माह यानी जुलाई-अगस्त माह में आती हैं वहीं दूसरी पौष यानि दिसम्बर-जनवरी के महीने में आती है। जहां पौष पुत्रदा एकादशी भारत के उत्तरी राज्यों में प्रचलित है, वहीं दूसरी ओर अन्य राज्यों में श्रावण पुत्रदा एकादशी अधिक प्रचलित है। हमारे समाज में पुत्र की प्राप्ति को महत्वपूर्ण माना गया है, मान्यता है, कि पुत्र द्वारा किए जाने वाले श्राद्ध से ही पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष मिलता है। हालांकी अाज के नए दौर में सभी के विचार अलग हो गए हैं लेकिन फिर भी ऐसी कई जगह हैं जहां ऐसा माना जाता है। इसी कारण पुत्र पाने की इच्छा इतनी प्रबल होती है, कि लोग सिर्फ एक ही नहीं अपितु दोनों पुत्रदा एकदशियों के व्रत का पालन करते हैं।
ekadashi vrat
पुत्रदा एकादशी के दिन करें इन नियमों का पालन
पुत्रदा एकादशी का व्रत करते समय कुछ नियमों का पालन करना जरुरी होता है। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को इस दिन प्याज़-लहसुन से परहेज करना चाहिए। इस दिन किसी भी प्रकार का भोग-विलास भी नहीं करना चाहिए। सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का विधि-वत पालन करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु के बाल रूप की पूजा होती है। द्वादशी के दिन भगवान विष्णु को अर्घ्य देकर पूजा सम्पन्न की जाती है।



No comments: