हिन्दू धर्म शास्त्रों और वेद पुराणों में कुछ ऐसे दिव्य मंत्रों का उल्लेख किया गया है जिनका जप करके व्यक्ति अपनी अनेक समस्याओं का समाधान कर सकता है । कुछ मंत्र कार्यसिद्धि के लिए सिद्ध किए जाते हैं तो कुछ मंत्र जीवन में आनेवाली अनेक गंभीर समस्याओं को दूर करने के लिए जपे जाते हैं । उन्ही में से एक बहुत ही पॉवरफूल मंत्र शिव जी के महाकाल स्वरूप- का महामृत्युंजय मंत्र, इस मंत्र की खासियत यह हैं कि इसमें अकाल मृत्यु से लेकर जीवन की हर समस्या का समाधान छुपा हुआ है ।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए वैसे तो कई तरह के मंत्रों का जप किया जाता है, लेकिन एक ऐसा मंत्र है जो भगवान शिव को बहुत प्रिय है ।
महामृत्युंजय मंत्र-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
अर्थात- समस्त संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले शिव की हम अराधना करते हैं । विश्व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शिव मृत्यु न कि मोक्ष से हमें मुक्ति दिलाएं ।
1- महामृत्युंजय मंत्र में इतनी शक्ति है जिससे इंसान मौत पर भी जीत हांसिल कर सकता है, इस मंत्र से न सिर्फ भगवान शिव प्रसन्न होते हैं बल्कि ये मंत्र असाध्य रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचाने के लिए भी जाना जाता है ।
2- बीमारी, दुर्घटना, पाप ग्रहों के प्रभाव को दूर करने, मौत को टालने, आयु बढ़ाने के अलावा समस्त समस्याओं के समाधान के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र जप करने का विधान है ।
3- महामृत्युंजय मंत्र का जप करना बेहद फलदायी होता है लेकिन इस मंत्र के जप में कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए । अगर आप खुद इस मंत्र का जप नही कर पा रहे हैं तो इस मंत्र का जप किसी योग्य ब्राह्मण या साधक से भी करा सकते हैं ।
मंत्र जप के दौरान बरते ये सावधानियां
1- महाम़ृत्युंजय मंत्र का उच्चारण सही और शुद्धता के साथ करें, इस मंत्र के जप में एक शब्द की भी गलती उचित परिणाम नहीं मिलेंगे ।
2- महाम़ृत्युंजय मंत्र जप के लिए एक निश्चित संख्या निर्धारित कर धीरे-धीरे बंद आंखे कर जपना चाहिए ।
3- इस मंत्र का जप धीमे स्वर में करना चाहिए. जप करते समय इसका उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए ।
4- इस बात का विशेष ध्यान रखें कि महामृत्युंजय जप के दौरान धूप-दीप जलते रहना चाहिए ।
5- इस मंत्र का जप केवल रुद्राक्ष की माला से ही करना चाहिए । माला को गौमुखी में रखकर उससे जप करें और जप पूरा हो जाने के बाद माला गौमुखी से बाहर निकालकर आंखों और माथे पर स्पर्श करना चाहिए ।
6- इस मंत्र का जप उसी जगह पर करें जहां पर भगवान शिव की मूर्ति, प्रतिमा या महामृत्युमंजय यंत्र रखा हो ।
7- इस मंत्र का जप हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए ।
8- इस मंत्र का जप करने वाले व्यक्ति को भूलकर भी जीवन में मांसाहार या किसी भी प्रकार के नशा का सेवन नहीं करना चाहिए ।
महामृत्युंजय मंत्र की जप संख्या
1- अगर कोई किसी को भय या डर से छुटाकारा पाना है तो इसके लिए महामृत्युंजय मंत्र का 1100 बार जप करना चाहिए ।
2- लंबे समय से पीड़ित रोगी को रोग से मुक्ति दिलाने के लिए 11000 बार इस मंत्र का जप करके 108 बार गाय के घी से हवन करना चाहिए ।
3- संतान प्राप्ति, उन्नति के लिए, अकाल मृत्यु से बचने के लिए और अन्य सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए सवा लाख की संख्या में महाम़ृत्युंजय मंत्र का जप करना अनिवार्य माना गया है । इतना जप करने के बाद सभी प्रकार की परेशानियां खत्म हो जायेंगी ।
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