WARRIORS OF MAHABHARAT

Downolad Latest Movies . and Serial here for free

ad

Featured post

How to download mahabharat starplus

दोस्तो हमारी सहायता करने के लिये नीचे दिये ads per click कीजिये। How to download mahabharat in android phone Step 1- download  and i...

Friday, 17 August 2018

रक्षा बंधन के दिन इन चीजों से स्नान करने वालों के धुल जाते हैं कई पाप


सावन मास की पूर्णिमा रक्षाबंधन पर्व के लिए तो जानी ही पर शायद कम ही लोग जानते होंगे की इसी एक और बड़ा ही महत्पूर्ण कर्म भी किया जाता है । वेद शास्त्र कहते हैं कि अगर इस दिन इन 10 चीजों से स्नान करने के बाद इस वैदिक कर्म को किया जाये तो मनुष्य के द्वारा जाने अंजाने हुए सभी प्रकार पाप कर्म धुल जाते है । जाने रक्षाबंधन पर किन चीजो से स्नान करना चाहिए ।

सावन मास के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा, रक्षाबंधन पर्व को हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है, पर इस दिन का एक और महत्वपूर्ण पक्ष है- श्रावणी अर्थात् उपाकर्म । उपाकर्म विशुद्ध रूप से वैदिक कर्म है । इसके बिना रक्षाबंधन अधूरा एवं अपूर्ण ही माना गया है । किसी पवित्र नदी, जलाशय या समुद्र तट पर सामूहिक रूप से विधिपूर्वक स्नान, पूजन, हवन इत्यादि करके यह पर्व संपन्न किया जाता है । इसी दिन यज्ञोपवीत बदलने का भी विधान है ।
शास्त्र में कहा गया है कि-
संप्राते श्रावणास्यान्त पौणिंमास्या दिनोदये । स्नानं कुवींत मतिमान् श्रुति स्मृति विधानतः ॥

अर्थात्- बुद्धिमान पुरुष को चाहिए कि श्रावण की पूर्णिमा को प्रातः ही श्रुति-स्मृति विधानानुसार स्नानादि कृत्य करे । यह आत्मशोधन का पुण्य पर्व है । सावधानी के साथ रहने वाले व्यक्तियों से भी प्रमादवश कुछ भूल, जाने अंजाने हुई कुछ गलतियां हो जाती है । इन दोषों से छूटकारा पाने एवं पाप से निवृत्ति हेतु श्रावणी पर्व का विशेष योगदान है । आचार्य हेमादि कृत् श्रावणी संकल्प का कर्मकाँड का सबसे बड़ा संकल्प माना गया है । इसे प्रायश्चित संकल्प कहा जाता है । इस दिन ज्ञात-अज्ञात हुए अनेक पापों का नाम लेकर उससे मुक्ति पाने की कामना की जाती जाती है ।

इन चीजों से करे स्नान

श्रावणी रक्षाबंधन के दिन उपाकर्म के अंतर्गत पाप कर्म की मुक्ति के लिए इन 10 चीजों से एक एक करके स्नान किया जाता हैं- मिट्टी, गाय का गोबर, गाय का दूध, गाय का घी, गाय का पंचगव्य, भस्म, अपामार्ग, कुशा+दूर्वा, शहद एवं गंगाजल, आदि 10 पदार्थो के द्वारा स्नान किया जाता है । इस स्नान से शारीरिक शुद्धि होती है और ऋषिपूजन, देवपूजन, द्वारा आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है । इस क्रम को करने के बाद नये यज्ञोपवित का पूजन कर पहनने के बाद पुराने को बदला जाता हैं, बाद में हवन करके सूर्य भगवान को अर्घ्य चढ़ाया जाता है । साथ इस दिन आत्मशुद्धि के बाद वेद शास्त्रों के अध्यन का भी नियम होता है ।

श्रावणी पर्व पर उपरोक्त स्नान संबंधी विधियाँ बहुत ही वैज्ञानिक आधार पर स्थिर की गई है । मृतिका, भस्म, गोमय, कुशा, दूर्वा आदि सभी स्वास्थ्यवर्द्धक एवं रोगनाशक होती हैं । इस प्रकार श्रावणी की सारी प्रक्रिया सर्वविध शुद्धि के लिए अत्यंत लाभप्रद है । पंचगव्य के पदार्थ की उपयोगिता को आयुर्वेद भी स्वीकारता है ।
shravani upakarma


No comments: