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Sunday 2 July 2017

आखिर क्यो विराजमन हुए थे।बजरंगबली अर्जुन के रथ के ध्वज पर।।

आखिर क्यो विराजमान हुए। अर्जुन के रथ के ध्वज पर।।



दोस्तो आप सब ये तो जान्ते ही होन्गे कि बजरॅन्गबली अर्जुन के रथ पर विराजन हुए थे लेकिन आप लोगो मे बहुत कम लोगो को ये पता होगा कि एसा क्यो हुआ था।। आइये जान्ते है।।


एक दिन भगवान श्रीकृष्ण को छोड़कर अकेले अर्जुन वन में गुमने के लिये गए। घूमते-घूमते वे दक्षिण दिशा में रामेश्वरम चले गये। जहाँ उन्हें श्री राम जी का बनाया हुआ सेतु दिखाई दिया।





यह देख कर अर्जुन ने कहा कीं उन्हें सेतु बनाने के लिए वानरों की क्या जरुरत थी जबकी वे खुद ही सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे।

उनकी जगह में होता तो यह सेतु बाणों से बना देता। यह सुन कर हनुमानजी ने कहा कि बाणों से बना सेतु एक भी व्यक्ति का भार संभल नहीं सकता है।

तब अर्जुन ने कहा कि यदि मेरा बनाया सेतु आपके चलने से  टूट जाएगा तो मैं अग्नि में प्रवेश कर जाऊंगा और यदि नहीं टूटता है तो आपको अग्नि में प्रवेश करना पड़ेगा। हनुमानजी ने कहा मुझे स्वीकार है। मेरे दो चरण ही इसने झेल लिए तो मैं हार स्वीकार कर लूंगा।।





तब अर्जुन ने अपने प्रचंड बाणों से सेतु को तैयार कर दिया। लेकिन जैसे ही सेतु तैयार हुआ हनुमान ने विराट रूप धारण कर लिया। हनुमान राम का स्मरण करते हुए उस बाणों के सेतु पर चढ़ गए।



पहला पग रखते ही सेतु सारा का सारा डगमगाने लगा, दूसरा पैर रखते ही सेतु चरमरा गया। यह देख कर अर्जुन ने अपने आपको ख़त्म करने के लिए अग्नि में कूदने चले वैसे ही भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हो गए और अर्जुन से कहा कि वह फिर से सेतु बनाये लेकिन इस बार वे श्री राम का नाम लेके सेतु बनाये जिससे वह नहीं टूटेगा।






दूसरी बार सेतु के तैयार होने के बाद हनुमान फिर से उस पर चले लेकिन इस बार सेतु नहीं टुटा। इससे खुश हो कर हनुमान ने अर्जुन से कहा कि वे युद्ध के अंत तक उनकी रक्षा करेंगे।

इसीलिए कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन के रथ के दुवाज में हनुमान विराजमान हुए और अंत तक उनकी रक्षा की।

महाभारत के युद्ध के अंतिम दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन से पहले रथ से उतरने को कहा, उसके बाद कृष्ण रथ से उतरे। कृष्ण ने हनुमान जी का धन्यवाद किया कि उन्होंने उनकी रक्षा की।





जैसे ही हनुमानजी अर्जुन के रथ से उतर कर गए, वैसे ही रथ में आग लग गयी। यह देख कर अर्जुन हैरान रह गए। श्री कृष्ण ने उन्हें बाताया कि कैसे हनुमान उनकी दिव्य अस्त्रों से रक्षा कर रहे थे।इससे हमे पता चलता है कि कैसे हनुमान जी सिर्फ रामायण के ही नहीं बल्कि महा भारत के भी एक सबसे महत्वपूर्ण किरदार थे।।


1 comment:

Rj said...

Nice info