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Wednesday 12 July 2017

महाभारत के अपराजित योद्धा ।। दुसरा भाग

6. द्रोण 



द्रोण अश्वथामा के पिता थे। और वो कौरवो और पाण्डवो के साही गुरु भी थे। वो युद्धकला के गुरु भी थे। उन्होने अर्जुन को तीरंदाजी यानि तीर धनुष चलाना सिखाया था। दुर्योधन और भीम को भी गदा चलाना उन्होने ही सिखाया था। भीष्म और कर्ण की तरह ही द्रोण भी भगवान परषुराम के ही शिष्य थे। द्रोण अपने वादे की वजह से कौरवो की तरफ से महाभारत के युद्ध मे लडे वो बहुत ज्ञानी थे। और महाभारत मे सबसे बडे रणनिति बनाने वालो मे से एक थे।

7.अर्जुन



अर्जुन इन्द्रेव के बेटे थे। वो पाण्डव भाईयो मे तीसरे पाण्डव और सबसे महान तीरंदाज थे गुरु द्रोण ने अर्जुन को शिक्षा दी लेकिन बाद मे युद्धकला मे वो अपने गुरु से भी आगे निकल गये । अर्जुन महाभारत  के सबसे शक्तिशाली योद्धाऔ मे से थे। और तो और उनको हर तरह के देवीय सश्त्रो का ज्ञान था। अर्जुन के पास ब्रम्हाश्त्र,पसुपात अश्त्र,प्रजापति अश्त्र और एसे कइ अश्त्र थे लेकिन अर्जुन ने एक बार भी इनको महाभारत मे इस्तमाल नही किया। अर्जुन ने पसुपात अश्त्र पाने के लिये कडी तपस्या की वो भी अपने पैरो के अगूँठे पर खडे होकर। अर्जुन ने महाभारत युद्ध मे कौरव सेना के कई योद्धाऔ को मारा। जिसमे महान योद्धा भीष्म और कर्ण भी शामिल थे।

8.कर्ण 



कर्ण सुर्यदेव और कुन्ती के पुत्र थे । वो पाण्डवो मे सबसे बडे भाई थे। दुर्योधन से अपनी दोस्ती की वजह से उन्होने महाभारत मे उनके साथ कौरवो की तरफ से लडाई की। उन्होने अपनी शिक्षा भगवान परशुराम से ली थी कर्ण एक कवच और कुण्डल के साथ पैदा हुए थे ।जो कि उनके पिता ने उनको तोफे मे दिया था। ये कवच और कुण्डल कर्ण को किसी भी प्रकार के अश्त्र,शश्त्र से बचा सकते थे कर्ण ने भीष्म को वचन दिया था। कि जब तक भीष्म युद्ध के मैदान मे है वो नही लडेंगे। क्योकि अगर ये दौनो एक साथ युद्ध के मैदान मे आ गये ।तो पाण्डव सेना का अन्त हो जायेगा। वो कुरुक्षेत्र मे भीष्म के पराजित होने के बाद ही आये। अर्जुन की तरह ही कर्ण को भी धनुष बाण की कला मे महारथ हासिल थी ।सामान्य परिस्थिति मे कर्ण को हराना नामुंकिन था। लेकिन कर्ण को हराने के लिये दो शक्तिशाली शराप और बहुत बडा सडयंन्त्र रचा गया।


9.भीष्म


भीष्म सातुनु और देवी गंगा के पुत्र थे। वो कौरवो और पाण्डवो के दादा थे। उन्होने भी अपनी शिक्षा भगवान परशुराम से ले थी। भीष्म को अपनी माँ से वरदान मिला था। कि वो जब चाहे जी सकते है। यानिकि भीष्म तब तक नही मर सकते जब तक वो खुद ना मरना चाहे भीष्म इतने बडे योद्धा थे कि एक बार भगवान परशुराम के पिता ने उनसे कहा कि कभी भी उनसे युद्ध मत करना क्योकि उनको हराया नही जा सकता। महाभारत के युद्ध मे भीष्म के बार इतने शक्तिशाली थे कि कृष्णजी  को युद्ध मे हथियार ना उठाने का अपना प्रण तक तोड़ना पडा।

10.कृष्ण
    

भगवान कृष्ण विष्णुजी के आठवे अवतार थे । वो पूरी महाभारत के सबसे महान और शक्तिशाली योद्धा थे उन्होने महाभारत के युद्ध मे नही लडने का वचन दिया था। अगर वो युद्ध मे लडने आते तो पलक झपके ही युद्ध खत्म हो जाता। कृष्णजी महाभारत के युद्ध मे अर्जुन के सारथी थे। और उनका साथ होना ही पाण्डवो के जीतने के लिये काफी था कोइ भी कृष्णजी को शब्दो मे बयान नही करता वो हर चीज के ज्ञानी थे।।


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