आखिर ब्रम्हाजी का एक ही मंदिर क्यों है भारत में
हिन्दु धर्म में करीब 33 करोड़ देवता हैं। इनमें से कई देवताओं के मंदिर आपको कई जगह मिल जाएंगे। लेकिन भगवान ब्रह्माजी का मंदिर आपको राजस्थान के पुष्कर के अलावा और कहीं नहीं मिलता है। ब्रह्मा के इस मंदिर के दर्शन करने लाखों की तादाद में श्रद्धालु पुष्कर पहुंचते हैं। अन्य देवताओं के अलग-अलग जगहों पर कई मंदिर मौजूद हैं लेकिन भारत में ब्रह्माजी का एक मात्र मंदिर होना कोई अजूबा नहीं है। दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक मान्यता है।
दरअसल पत्नी सावित्री के शाप की वजह से ब्रह्माजी की पूजा सिर्फ पुष्कर में ही होती है। पौराणिक मान्यता के आधार पर जब वज्रनाशक नाम के राक्षस ने पृथ्वी पर कहर बरपा रखा था। उसके दुराचार से दुखी होने के बाद ब्रह्मा जी ने उसका वध कर दिया। उसी दौरान उनके हाथों से कमल का फूल गिर गया। जहां फूल गिरा वहीं उसी जगह का नाम पुष्कर पड़ गया। उस वक्त ब्रह्मा जी ने संसार के लिए एक यज्ञ करने का फैसला किया। भारतीय शास्त्रों के मुताबिक यज्ञ के दौरान पति और पत्नी दोनों को एक साथ पूजा पर बैठना पड़ता है।
अपनी पत्नी सावित्री के वक्त पर नहीं पहुंचने के चलते ब्रह्माजी ने गुर्जर समुदाय की लड़की गायत्री से शादी कर ली और यज्ञ शुरू किया। यज्ञ शुरू होते ही सावित्री भी वहां पहुंच गई। अपने पति के साथ दूसरी औरत को बैठी देख उसका पारा चढ़ गया। उसने ब्रह्माजी को शाप दे दिया कि देवता होने के बावजूद आपकी पूजा कहीं भी नहीं होगी। सभी देवताओं ने सावित्री को ऐसा नहीं करने के लिए कहा। जब सावित्री का गुस्सा शांत हुआ तो उसने कहा कि ब्रह्माजी की पूजा सिर्फ पुष्कर में ही होगी। यहां के अलावा कहीं और कोई इनकी मंदिर बनवाएगा तो उसका विनाश हो जाएगा।
पुष्कर में ब्रह्मा जी के मंदिर का निर्माण कब हुआ ये कोई नहीं जानता है लेकिन ऐसा कहा जाता है की एक हजार साल पहले एक राजा ने इस मंदिर के पुराने ढांचे को दोबारा जीवित किया था। आपको बता दें कि पुष्कर में सावित्री का भी मंदिर बनवाया गया है। जहां पहुंचने के लिए भक्तों को सैकड़ों सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। ऐसे में अगर आप भी ब्रह्माजी के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको पुष्कर ही आना पड़ेगा।
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