WARRIORS OF MAHABHARAT

Downolad Latest Movies . and Serial here for free

ad

Featured post

How to download mahabharat starplus

दोस्तो हमारी सहायता करने के लिये नीचे दिये ads per click कीजिये। How to download mahabharat in android phone Step 1- download  and i...

Thursday, 30 November 2017

समुद्र मंथन क्यों हुआ था क्या रहस्य था

                           समुद्र मंथन क्यों हुआ था  क्या रहस्य था

                   

हिन्दूधर्म की पौराणिक कथाओं में वैसे तो कई कथाएँ प्रचलित हैं…

लेकिन देवता और दानवों द्वारा कियें गया समुद्र मंथन की कहानी सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं.

कहा जाता हैं कि मंदार पर्वत को शेषनाग से बांधकर समुद्र का मंथन किया गया था और उस मंथन में समुद्र से ऐसी कई चीज़े प्राप्त हुई थी, जो बहुत अमूल्य थी. मंथन से प्राप्त चीजों में से एक चीज़ अमृत भी थी, जिसे लेकर देवताओं और असुरों में देवासुर युद्ध हुआ था और भगवान विष्णु की मदद से देवता इस युद्ध में अमृत को पाकर विजय प्राप्त कर पाए थे.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि समुद्र का मंथन करने की बात देवतों के मन में आई कैसी थी? इस पुरे वाकये के पीछे एक रोचक कहानी हैं जिसे आज हम आपको बतायेंगे.


विष्णु पुराण की एक कथा के अनुसार एक बार देवराज इन्द्र अपनी किसी यात्रा से बैकुंठ लोक वापस लौट रहे थे और उसी समय दुर्वासा ऋषि बैकुंठ लोक से बाहर जा रहे थे. दुर्वासा ऋषि ने ऐरावत हाथी में बैठे इन्द्रदेव को देखा तो उन्हें भ्रम हुआ कि हाथी में बैठा व्यक्ति त्रिलोकपति भगवान् विष्णु हैं. अपने इस भ्रम को सही समझ कर दुर्वासा ऋषि ने इन्द्र को फूलों की एक माला भेंट की लेकिन अपने मद और वैभव में डूबे देवराज इन्द्र वह माला अपने हाथी ऐरावत के सिर पर फेंक दी और ऐरावत हाथी ने भी अपना सिर झटक कर उस माला को ज़मीन पर गिरा दिया जिससे वह माला ऐरावत के पैरों तले कुचल गयी.

दुर्वासा ऋषि ने जब इन्द्र की इस हरकत को यह देखा तो क्रोधित हो गए. उन्होंने ने इन्द्र द्वारा किये गए इस व्यवहार से खुद का अपमान तो समझा ही साथ ही इसे देवी लक्ष्मी का भी अपमान समझा.

इन्द्र द्वारा किये गए इस अपमान के बाद दुर्वासा ऋषि ने इन्द्र की श्रीहीन होने का श्राप दे डाला. ऋषि द्वारा दिए गए श्राप के कुछ ही समय बाद इन्द्र का सारा वैभव समुद्र में गिर गया और दैत्यों से युद्ध हारने पर उनका स्वर्ग से अधिकार छीन लिया गया.

अपनी इस दशा से परेशान होकर सभी देवता इंद्रदेव के साथ भगवान् विष्णु के पास पहुचे और इस समस्या का समाधान पूछा. तब भगवान् ने देवताओं को समुद्र मंथन कर स्वर्ग का सम्पूर्ण वैभव वापस पाने और मंथन से निकलने वाले अमृत का उपभोग करने का रास्ता सुझाया.


देवताओं को भगवान् विष्णु द्वारा सुझाया गया यह मार्ग स्वीकार था लेकिन इस समाधान में एक दिक्कत यह थी कि समुद्र मंथन अकेले देवताओं के बस की बात नहीं थी उन्हें इसमें दैत्यों को भी शामिल करना आवश्यक था. देवता नारायण की इस बात के लिए राजी हो गए और उन्होंने दानवो के साथ मिल कर समुद्र मंथन किया.

मान्यता हैं कि समुद्र मंथन से अमृत के अलावा धन्वन्तरी, कल्पवृक्ष, कौस्तुभ मणि, दिव्य शंख, वारुणी या मदिरा, पारिजात वृक्ष, चंद्रमा, अप्सराएं, उचौ:श्राव अश्व, हलाहल या विष और कामधेनु गाय भी प्राप्त हुई थी. लेकिन अमृतपान के लिए देवता और असुरों में युद्ध हुआ था. भगवान् विष्णु की मदद से देवताओं ने यह युद्ध जीत लिया  और अंततः देवताओं को अमृत की प्राप्ति हो पाई थी.

No comments: