रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षाबंधन के त्यौहार पर भाई-बहन के रिश्ते की मिठास देखने को मिलती है जिसका हर भाई और बहन को इंतजार होता है। इस पवित्र त्यौहार पर हर बहन आपने भाई से अपनी रक्षा का वचन मांगती है। साल 2018 में रक्षाबंधन के त्योहार 26 अगस्त, रविवार को मनाया जाएगा। इस साल इस त्यौहार की सबसे अच्छी बात यह है की इस बार के रक्षाबंधन में भद्रा काल नहीं है और राखी बांधने का सही समय भी इस बार समय पर ही निर्धारित किया गया है। इस बार अगर सही मुहूर्त में आपने अपने भाई को राखी बांधी तो आपका रिश्ता हमेशा गहरा बना रहेगा। क्योंकि इस बार का योग और मुहूर्त बहुत खास है। वहीं इस वार रक्षाबंधन पर तिथियों को लेकर कोई उलझन वाली स्थिति नहीं है।
शनिवार शाम से शुरु होगा मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि का आरंभ शनिवार की शाम 3 बजकर 17 मिनट से हो रहा है और यह अगले दिन शाम 5 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। शनिवार को सुबह 9 बजकर 15 मिनट से श्रवण नक्षत्र भी शुरू हो रहा है जो रविवार को 4 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। 25 अगस्त को 3 बजकर 17 मिनट से पूर्णिमा तिथि शुरू होने के बावजूद राखी का त्योहार 26 अगस्त को इसलिए मनाया जाएगा क्योंकि 26 अगस्त को सूर्योदय काल में पूर्णिमा तिथि होने से इसदिन पूर्णिमा तिथि मान्य होगी। शनिवार को चतुदर्शी तिथि में सूर्योदय की वजह से शनिवार को यह त्योहार नहीं मनाया जाएगा। दूसरी बात यह भी है कि शनिवार को पूर्णिमा तिथि के साथ भद्रा भी लगा होगा। रविवार को 4 बजकर 20 मिनट तक श्रवण नक्षत्र होने से इस समय तक राखी बंधवाना सबसे शुभ रहेगा। रक्षाबंधन के दिन इस साल बेहद शुभ संयोग बनने जा रहा है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार भद्राकाल को अशुभ माना समय माना जाता है। इसलिए जितने घंटे यह योग रहता है, उतने समय में शुभ काम नहीं करते। इस दौरान राखी बांधने या पावन कार्य करने का शुभ फल नहीं मिलता है, ऐसा शास्त्रों में लिखा है। भद्रा दिन की शुरुआत में ही समाप्त होने से पूरे दिन शुभ योग बना रहेगा। ऐसे में आप पूरे दिन राखी का त्योहार मना सकते हैं यानी बहनों और पुरोहितों से राखी बंधवाने के लिए पूरा दिन होगा आपके पास। रक्षाबंधन पर भद्राकाल नहीं होने से दिनभर राखी बांधना शुभ है।
राहुकाल में राखी बांधने से बचें
बहनें राहुकाल में अपने भाइयों को राखी बांधने से बचें। 26 अगस्त के दिन शाम 4:30 से 6 बजे तक राहुकाल रहेगा। इस समय अवधि के अलावा किसी भी समय राखी बांधी जा सकेगी। पूर्णिमा तिथि शाम 5 बजकर 26 मिनट तक रहेगी।
इस दिन विष्णु की पूजा करना रहेगा लाभदायक
इस दिन भगवान विष्णु के एक अवतार हयग्रीव का भी जन्मदिन है। इसलिए राखी के दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष शुभ फलदायी है। भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार के पीछे देवी लक्ष्मी का भी योगदान था इसलिए भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा करना धन और समृद्धिदायक रहेगा।
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