राखी का त्यौहार भाई-बहन के निस्वार्थ प्रेम की अभिव्यक्ति का दिन माना जाता है, हर साल रक्षाबंधन श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो कि इस बार 26 अगस्त 2018 दिन रविवार को है । रक्षाबंधन पर्व पर बहनें अपने भाई को रक्षा सूत्र यानी राखी बांधकर उनके स्वस्थ जीवन की कामना करती है और भाई स्नेहपूर्वक बहनों को उपहार देते हुये रक्षा का संकल्प लेता है । इस पर्व की सबसे खास बात यह है कि इसे सिर्फ हिन्दू ही नहीं, बल्कि अन्य धर्म के लोग जैसे कि सिख, जैन और ईसाई भी हर्षोल्लास के साथ इसे मनाते हैं ।
हर साल राखी बांधने के मुहूर्त को लेकर असमंजस की स्थिति रहती है क्योंकि राखी के दिन भद्रा रहती है । इस साल अच्छी बात यह है कि राखी के दिन भद्रा नहीं है, इसलिए बहने सुबह सो लेकर रात तक बहने अपने भाईयों की कलाई पर प्रेम की डोर बांध सकती है, लेकिन बीच-बीच में कुछ समय को छोड़ना होगा क्योंकि अशुभ चौघड़िया, राहु काल, यम घंटा और गुली काल रहेगा ।
पं. अरविंद तिवारी के अनुसार पूर्णिमा तिथि 25 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 16 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी जो 26 अगस्त को सायं 5 बजकर 25 मिनट तक रहेगी । इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र दोपहर 12.35 बजे तक रहेगा । रक्षाबंधन का मुहूर्त 26 अगस्त को प्रातः 7.43 से दोपहर 12.28 बजे तक रहेगा । इसके बाद दोपहर 2.03 से 3.38 बजे तक रहेगा । सायं 5.25 पर पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जाएगी, लेकिन सूर्योदय व्यापिनी तिथि मानने के कारण रात्रि में भी राखी बांधी जा सकेगी । इस बार राखी बांधने और बंधवाने वाले दोनों ही के लिए ये सबसे अच्छा मुहूर्त हैं ।
राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त- शुभ- मुहूर्त की अवधि - 11 घंटे 26 मिनट
चर - सुबह - 7:43 से 9:18 तक
लाभ- प्रातः- 9:18 से 10:53 तक
अमृत- प्रातः- 10:53 से 12:28 तक
शुभ - दोपहर:- 2:03 से 3:38 तक
शुभ - साय- 6:48 से 8:13 तक
अमृत - रात्रि- 8:13 से 9:38 तक
चर - रात्रि- 9:38 से 11:03 तक
लाभ- प्रातः- 9:18 से 10:53 तक
अमृत- प्रातः- 10:53 से 12:28 तक
शुभ - दोपहर:- 2:03 से 3:38 तक
शुभ - साय- 6:48 से 8:13 तक
अमृत - रात्रि- 8:13 से 9:38 तक
चर - रात्रि- 9:38 से 11:03 तक
इस समय में न बांधें राखी, अशुभ हैं ये समय
राहु काल प्रातः- 5:13 से 6:48
यम घंटा दोपहर- 12:28 से 2:03
गुली काल दोपहर- 3:38 से 5:13
काल चौघड़िया दोप 12:28 से 2:03
पंचक में भी राखी बांध सकती हैं
धनिष्ठा पंचक धनिष्ठा से रेवती तक पांच नक्षत्रों को पंचक कहा जाता है । ये पांच दिनों तक चलता है । पंचक को लेकर भ्रांति यह है कि इसमें कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए । जबकि सत्यता यह है कि पंचक में अशुभ कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि उनकी पांच बार पुनरावृत्ति होती है । पंचक में शुभ कार्य करने में कोई दिक्कत नहीं है । रक्षाबंधन के दिन धनिष्ठा नक्षत्र होने के कारण पंचक रहेगा, लेकिन राखी बांधने में यह बाधक नहीं बनेगा ।
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