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Sunday, 6 May 2018

विश्व के 10 सबसे बड़े मंदिर, जिनके बारे में जान कर हैरान हो जाएंगे आप

           विश्व के 10 सबसे बड़े मंदिर, जिनके बारे में जान कर हैरान हो जाएंगे आप

प्राचीन हिंदू मंदिर अपने अनूठे वास्तुशिल्प, अद्भुत कलाकारी तथा विशालताओं के लिए जाने जाते हैं। इन मंदिरों के मुकाबले में दुनिया का कोई भी धार्मिक स्थल नहीं है और न ही इनके निर्माण में किसी प्रकार की मशीनी सहायता ली गई है। लेकिन इनकी विशालता को देख कर ही आदमी आश्चर्य से भर उठता है। आइए जानते हैं, हिंदुओं के 10 सबसे बड़े मंदिरों के बारे में... 
                                (1)अंकोरवाट मंदिर
अंकोरवाट मंदिर कंबोडिया का अंकोरवाट मंदिर न केवल हिंदू धर्म वरन पूरी दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल माना जाता है। इसे 12वीं सदी में राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने बनवाया था। यह मंदिर मुख्यतः भगवान विष्णु को समर्पित हैं परन्तु यहां बौद्ध धर्म का भी खासा प्रभाव देखने को मिलता है। कुल 8,20,000 वर्गमीटर क्षेत्रफल में बने इस मंदिर को यूनेस्को ने भी अपनी विरासत में सहेजा है।
                          
                          (2)श्री रंगनाथस्वामी (श्रीरंगम) मंदिर 
श्री रंगनाथस्वामी (श्रीरंगम) मंदिर Srirangnath Swami (Srirangam) Temple दक्षिण भारत के त्रिची, तमिलनाडू में स्थित श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर भारत का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। कुल 6,31,000 वर्गमीटर क्षेत्रफल में बना यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर में पूरा एक शहर बसा हुआ है, यहां छोटे-मोटे कुल 49 धार्मिक स्थल है जिनके चलते मंदिर का हर कोना भक्तों से भरा रहता है।
                           (3)अक्षरधाम मंदिर
अक्षरधाम मंदिर आधुनिक समय में बनाए गए मंदिरों में दिल्ली का अक्षरधाम (अथवा स्वामीनारायण) मंदिर अपने आप में बहुत खास है। इस मंदिर को कुल 2,40,000 वर्गमीटर क्षेत्रफल में बनाया गया है। मंदिर को देखने के लिए देश-विदेश से हर वर्ष लाखों पर्यटक दिल्ली आते हैं।
                        (4)थिल्लई नटराज मंदिर

थिल्लई नटराज मंदिर भगवान शिव को समर्पित थिल्लई नटराज मंदिर (इसे चिदंबरम मंदिर भी कहते हैं) तमिलनाडू के चिदंबरम शहर की शान है। यहां भगवान शिव के अतिरिक्त ‘सिवाकामी अम्मन’, गणेश, मुरुगन और गोविन्दराजा पेरूमल की आराधना भी होती है। मंदिर का कुल निर्मित क्षेत्रफल 1,60,000 वर्गमीटर है
                                (5) बेलूर मठ

बेलूर मठ महान हिंदू धार्मिक प्रचारक स्वामी विवेकानन्द द्वारा कलकत्ता में हुगली नदी के किनारे बेलूर मठ की स्थापना की गई थी। 1,60,000 वर्गमीटर क्षेत्रफल में बने इस मंदिर में मां आद्यकाली की पूजा की जाती है। यहा रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय भी है।
                            (6)बृहदेश्वर मंदिर

बृहदेश्वर मंदिर यूनेस्को की वैश्विक धरोहरों में शामिल बृहदेश्वर मंदिर विश्व के सात प्रमुख आश्चर्यों में एक है। इस मंदिर के सबसे बड़े स्तम्भ की ऊंचाई 200 फीट है जो उस समय में विश्व की सबसे ऊंची मानव निर्मित उंचाई रही होगी और मंदिर में विराजित शिवलिंग की उंचाई भी 12 फीट है इसके अलावा मंदिर के ही मुख्य अहाते में बनी नंदी की प्रतिमा करीब 25 टन वजनी है। यह प्रतिमा भी 12 फुट ऊंची और 20 फुट लम्बी है। तंजावुर में बने तथा भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण चोल राजाओं ने 1010 ईसापूर्व में कराया था। यह मंदिर अपने वास्तुशिल्प, ऊँचे स्तंम्भ, मूर्तिकला और भित्तिचित्रो के साथ साथ तमिल शिलालेखो के लिए भी विश्वप्रसिद्ध है। मंदिर का कुल निर्मित क्षेत्रफल 1,02,400 वर्ग मीटर है।
                               (7)अन्नामलाईयर मंदिर

अन्नामलाईयर मंदिर अपनी अनूठी शिल्पकारी तथा ऊंचे स्तम्भों के लिए प्रसिद्ध अन्नामलाईयर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह तमिनाडू के तिरुवन्नामलाई में स्थित है। इस मंदिर का कुल क्षेत्रफल 1,01,171 वर्गमीटर है।
                            (8)एकम्बरेस्वरर मंदिर
एकम्बरेस्वरर मंदिर कांचीपुरम का एकम्बरेस्वरर मंदिर दक्षिण भारत के पांच महाशिवमंदिरों तथा पंचभूत महास्थलों में एक हैं। माना जाता है कि यह मंदिर पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता है। भगवान शिव का समर्पित यह मंदिर लगभग 92,860 वर्गमीटर में बना हुआ है। किंवदंती है कि भगवान शिव यहां की गई पूजा को अवश्य स्वीकार करते हैं।
                          (9)थिरुवनेयीकवल मंदिर
थिरुवनेयीकवल मंदिर तमिलनाडू के त्रिची में स्थित थिरुवनेयीकवल (थिरुवनेयीकल) मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण आज से 1800 वर्ष पूर्व चोल राजा कोसन्गंनन ने कराया था। लगभग 72,843 वर्गमीटर क्षेत्रफल में बने इस मंदिर की अद्भुत कारीगरी और कलात्मकता देखते ही बनती है
                                    (10)नेल्लईप्पर टेम्पल

नेल्लईप्पर टेम्पल तमिनाडू में ही तिरुनेलवेली शहर के बीचोंबीच स्थित नेल्लईप्पर मंदिर स्वामी नेल्लईप्पर और श्री अरुल्थारुम कन्थिमथि अम्बल को समर्पित है। यह भारत के प्राचीन मंदिरों में एक है। माना जाता है कि मंदिर आज से लगभग 2500-3000 साल पूर्व पहले ‘मुलुठुकंडा रामा पांडियन’ के द्वारा बनवाया गया था। मंदिर का कुल निर्मित क्षेत्रफल 71,000 वर्ग मीटर है।

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