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Monday, 13 August 2018

नागपंचमी विशेष : नागपंचमी पर करें इन प्रमुख मंदिरों के दर्शन, कालसर्प दोषों से मिलेगी मुक्ति


श्रावण मास की शुक्ल पंचमी के दिन नागपंचमी पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष नामपंचमी का त्यौहार 15 अगस्त को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में नागपूजा का विशेष महत्व माना जाता है। नागपंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है कहा जाता है की इस दिन नाग देवता की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती और सर्प दोषों से मुक्ति भी मिलती है। यह भी माना जाता है की नागपंचमी के दिन नागदेवता की पूजा करने से सर्प द्वारा कोई पीड़ा नहीं मिलती। भारत में ऐसे कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जिनके बारे में मान्यता है की नागपंचमी के दिन उनकी पूजा व उनके दर्शन मात्र से ही कुंडली से कालसर्प दोष दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं भारत के ऐसे मंदिरों के बारे में....
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नाग वासुकि मंदिर
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में नाग वासुकि का काफी प्रसिद्ध मंदिर हैं। यह मंदिर गंगा तट पर है। यहां नाग वासुकि मंदिर को शेषराज, सर्पनाथ, अनंत और सर्वाध्यक्ष कहा गया है। मंदिर को लेकर लोगों की मान्यता है की यहां नागपंचमी के दिन दर्शन और पूजन करने से वयक्ति की कुंडली का कालसर्प दोष दूर हो जाता है। नाग वासुकि मंदिर में नाग देवता के अलावा कई देवता विराजमान हैं। यहां मंदिर परिसर में श्री गणेश, माता पार्वती और भीष्म पितामाह की मूर्ति भी विराजित हैं। मंदिर में नागपंचमी के पर्व पर श्रृद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है व यहां मेला भी लगता है। जिसे देखने दूर-दूर ले लोग आते है।
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तक्षकेश्वर नाथ
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में यमुना तट पर स्थित तक्षकेश्वर महादेव मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर करीब पांच हजार साल पुराना मंदिर है। मान्यता के अनुसार इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने से व्यक्ति के परिवार व वंशजों के भी सर्पदोष व भय दूर हो जाते हैं। तक्षकेश्वर मंदिर से थाड़ी दूर यमुना नदी में तक्षक कुंड भी बना हुआ है। तक्षकेश्वर महादेव मंदिर का वर्णन पुराणों में भी मिलता है। इस मंदिर का वर्णन जिक्र पद्म पुराण के 82 पाताल खंड के प्रयाग माहात्म्य में 82वें अध्याय में मिलता है।
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नागचंद्रेश्वर मंदिर
नागचंद्रशेवर मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर के परिसर में बना हुआ हैं। मंदिर में नागचंद्रेश्वर भगवान विराजमान हैं। नागचंद्रश्वर देव का यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिर नागपंचमी के दिन खुलता है। यह मंदिर महाकाल मंदिर के तीसरी मंजिल पर स्थित है। यहां नागपंचमी के दिन दर्शन के लिए श्रृद्धालुओं की एक दिन पहले से लाइन लगनी शुरु हो जाती है। यहां पर भगवान शंकर और माता पार्वती फन फैलाए नाग के सिंहासन पर विराजमान हैं। एक कथा के अनुसार नागराज तक्षक की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद दिया था। तब से तक्षक नाग महाकाल के ही सान्निध्य में यहां विराजमान हैं। नागपंचमी के दिन मंदिर में इनके दर्शन मात्र से ही कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
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मन्नारशाला
केरल के अलेप्पी जिले से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर मन्नारशाला मंदिर स्थित है। नागराज को समर्पित इस मंदिर में नागराज के साथ उनकी पत्नी नागयक्षी देवी भी विराजमान हैं। इस मंदिर में करीब 30 हजार नागों की प्रतिमाएं हैं। 30 हजार नागों की प्रतिमाओं वाला यह मंदिर 16 एकड़ में हरे-भरे जंगलों के बीच बना हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस परशुराम ने क्षत्रियों के संहार के पाप से मुक्ति पाने के लिए इस क्षेत्र का निर्माण किया था। जिसके बाद नागदेवता ने उन्हें अनंतकाल तक उपस्थित रहकर भक्तों का उद्धार करने का आशीर्वाद दिया था।

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सेम-मुखेम नागराजा मंदिर
उत्तराखंड के टिहरी में सेम-मुखेम नागराजा मंदिर स्थित है। मान्यताओं के अनुसार द्वारिका नगरी डूबने के बाद भगवान श्रीकृष्ण यहां नागराज के रूप में प्रकट हुए थे। मंदिर के गर्भगृह में नागराज की स्वयं भू-शिला है। द्वापरयुगीन यह शिला नागराज के रुप में पूजी जाती है। यह नाग तीर्थ पर्वत के सबसे ऊपरी भाग में स्थित है। वहीं मंदिर को लेकर एक और मान्यता प्रचलित है कि मुखेम गांव की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी। सेम-मुखेम नागराजा मंदिर का द्वार काफी आकर्षक है। नागपंचमी के दिन मंदिर के दर्शन बहुत ही अच्छा माना जाता है।



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