आचार्य चाणक्य ने जीवन के लगभग हर महत्वपूर्ण पहलुओं से संबंधित कुछ नीतियों का उल्लेख किया है। आचार्य चाणक्य की नीतियां पहले के समय में जीवन जीने के लिए जितनी कारगार मानी जाती थी उससे कई ज्यादा आज मानी जाती है। कहा जाता है की चाणक्य की नीति अपनाने से या उन नीतियों को जीवन में अनुसरण करने से किसी भी व्यक्ति का जीवन खुशहाल हो सकता है। वह व्यक्ति अपना जीवन सुखमय व्यतीत कर सकता है। पृथ्वी पर आए हर व्यक्ति के जीवन में कई उतार चढ़ाव आते हैं उसे अपने जीवन में कई बार सफलता और असफलता का सामना भी करना पड़ता है। व्यक्ति के जीवन में कभी उसे गरीबी का सामना करना भी करना पड़ता है। आचार्य चाणक्य ने ऐसे कई मंत्र बताए हैं जिन का पालन करने या स्वयं में इन गुणों को पैदा करने से व्यक्ति इन परिस्थितियों का सामना आसानी से कर सकता है।
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ के तीसरे अध्याय के ग्यारहवें श्लोक में पाप, गरीबी, क्लेश और भय दूर करने के तरीके बताए हैं। उक्त श्लोक के अनुसार चाणक्य का कहना है की व्यक्ति को मौन रहना चाहिए उन्होंने कहा है कि मौन रहने से कलह खत्म हो जाता है। मौन रहने का अर्थ है की यदि कोई आपसे कुछ कहे तो आपका उस समय चुप रहना ही उचित है, चुप रहकर बात सुनें और उसके अनुसार अपना काम करें। चुप रहने से क्लेश नहीं होगा और लोगों को पता नहीं चलेगा कि आपके मन में क्या चल रहा है। इसके साथ ही अचार्य चाणक्य ने बताया है कि सदैव जागने से भय दूर हो जाता है यानी हर समय चौकन्ना रहने से मन में किसी भी प्रकार का डर नहीं रहता।
चाणक्य नीति का श्लोक
उद्योगे नास्ति दारिद्रयं जपतो नास्ति पातकम्।
मौनेन कलहो नास्ति जागृतस्य च न भयम्॥
उद्योगे नास्ति दारिद्रयं जपतो नास्ति पातकम्।
मौनेन कलहो नास्ति जागृतस्य च न भयम्॥
गरीबी से पानी हो मुक्ति तो दान करें
आचार्य चाणक्य का कहना है कि अगर आप गरीबी से मुक्ति पाना चाहते हैं तो इसके लिए दान करना सबसे अच्छा उपाय है। व्यक्ति को अपनी शक्ति के मुताबिक समय-समय पर दान करते रहना चाहिए। चाणक्य के अनुसार दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और पुराने पाप धुल जाते हैं।
पाप खत्म करने का तरीका
पाप खत्म करने का तरीका
इससे गरीबी दूर हो जाती है। इसके साथ ही आचार्य चाणक्य ने कहा है कि लगातार मंत्र जप या पूजा करते रहने से बुद्धि और मन निर्मल हो जाता है। जिससे प्रायश्चित भी होता है और हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
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