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Saturday, 25 August 2018

अलग-अलग पूजा में इन धातुओं से बने दीपक जलाएं- जलते दीपक में इन चीजों को डालने पर सुगंधियों से भर उठेगा जीवन


ईश्वर को प्रकाश पुंज कहा जाता हैं, इसीलिए हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य, पूजा के समय, मंदिर में या फिर घर आंगन में हर कोई देवी देवताओं के सम्मुख उनके तत्व के आधार पर दीपक जलाते ही हैं । अगर भी अपने ईष्ट को प्रसन्न करना चाहते है तो जाने कौन सा और कितनी बत्ती वाला दीपक जलाने से ईश्वर प्रसन्न होकर कपा बरसाते हैं ।

इन देवताओं को इतनी बत्ती वाला दीपक जलाएं

1- माँ भगवती को प्रसन्न करने के लिए तिल के तेल का दीपक में मौली की बाती लगाकर जलाना उत्तम माना गया है ।
2- ईष्ट देवताओं को प्रसन्न करने के लिए देसी गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए ।
3- जब किसी शत्रु का शमन करने के लिए साधना करे तो उस समय सरसों एवं चमेली के तेल का दीपक जलाने से कार्य पूर्ण हो जाते है ।
4- सूर्य नारायण भगवान की पूजा में 7 बत्तियों वाले दीपक को जलाने का विशेष महत्व है ।
5- माता भगवती दुर्गा की पूजा में को 9 बत्तियों वाला दीपक सर्वोत्तम माना गया है ।
6- हनुमानजी एवं शंकरजी कि प्रसन्नता के लिए इनकी पूजा में पांच बत्तियों वाला दीपक जलाने का विधान है । इससे इन देवताओं की कृपा शीघ्र प्राप्त हो जाती है ।

7- दीपक जलाते समय उसके नीचे सप्तधान्य (सात अनाज) रखने से सब प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है ।
8- यदि दीपक जलाते समय उसके नीचे गेहूं रखें तो धन धान्य की वृद्धि होती है ।
9- यदि दीपक जलाते समय उसके नीचे चावल रखें तो महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी । 10- यदि दीपक के नीचे काले तिल या उड़द रखें तो स्वयं माँ काली भैरवी, शनि, दस, दिक्पाल, क्षेत्रपाल हमारी रक्षा करते हैं ।
11- जलते दीपक के अंदर अगर गुलाब की पंखुड़ी या लौंग रखें, तो जीवन अनेक प्रकार की सुगंधियों से भर उठेगा ।

इसलिए कहा जाता है कि दीपक के नीचे किसी न किसी अनाज को अवश्य रखना ही चाहिए ।

अनुष्ठानों में इन धातुओं के दीपक का महत्व

वैसे तो हर प्रकार की पूजाओं में मिट्टी के दीपकों का सबसे ज्यादा लाभ बताया गया है । लेकिन नवरात्रि या विभिन्न इच्छाओं की पूर्तियों के लिए किये जाने वाले अनुष्ठान में पांच दीपक प्रज्जवलित करने का बहुत महत्व है । इनमें सोना, चांदी, कांसा, तांबा, लोहा आदि धातुओं का प्रयोग होता है । धन के आभाव में पांचों दीपक तांम्बे के भी हो सकते हैं । जीवन के लिए प्राणीमात्र को प्रकाश चाहिए, क्योंकि बिना प्रकाश के कोई भी कोई कार्य नहीं कर सकता ।

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धातु के दीपक और उनसे सफल होने वाली मनोकामना एंव कुण्डली में जो ग्रह कमजोर हो उस धातु का दीपक पूजा में इस्तेमाल करना चाहिए ।

सोने का दीपक
सोने के दीपक में सूर्य व गुरु का वास होता है । सोने के दीपक को पूजा वेदी के मध्य भाग में गेहूं का आसन देकर चारों तरफ लाल कमल या गुलाब के फूल की पंखुड़ियां बिखेर कर स्थापित करें इसमें गाय का शुद्ध घी डालें तथा रूई की लंबी बत्ती लगाकर इसका मुख पूर्व दिशा की ओर रखें । इससे हर प्रकार की उन्नति तथा बुद्धि में निरंतर वृद्धि होती रहेगी ।


चांदी का दीपक
चांदी के दीपक में चन्द्र व शुक्र का वास होता है । चांदी के दीपक को चावलों का आसन देकर सफेद गुलाब या अन्य सफेद फूलों की पंखुड़ियों को चारों तरफ बिखेर कर पूर्व दिशा में स्थापित करें, इसमें गाय का शुद्ध देशी घी का ही प्रयोग करें । चांदी का दीपक जलाने से घर में सात्विक धन की वृद्धि होगी ।


तांबे का दीपक
तांम्बे के दीपक में मंगल का वास होता है । तांबे के दीपक को लाल मसूर की दाल का आसन देकर चारों तरफ लाल फूलों की पंखुड़ियों को बिखेर कर दक्षिण दिशा में स्थापित करें, इसमें तिल का तेल डालें और रूई की लंबी बत्ती जलाए । तांबे के दीपक में तिल का तेल डालने से मनोबल में वृद्धि होगी तथा अनिष्टों का नाश होगा ।


कांसे का दीपक
कांसे में बुध का वास होता हैं । कांसे के दीपक को चने की दाल का आसन देकर तथा चारों तरफ पीले फूलों की पंखुड़ियां बिखेर कर उत्तर दिशा में स्थापित करें, इसमें तिल का तेल डालें, कांसे का दीपक जलाने से धन की स्थिरता बनी रहती है अर्थात् जीवन भर पर्याप्त धन बना रहता है ।


लोहे का दीपक
लोहे के दीपक में शनि का वास होता है । लोहे के दीपक को उड़द की दाल का आसन देकर चारों तरफ कालें या गहरे नीले रंग के पुष्पों की पंखुड़ियां बिखेर कर पश्चिम दिशा में स्थापित करें । इसमें सरसों का तेल डालें, लोहे के दीपक में सरसों के तेल की ज्योति जलाने से अनिष्ट तथा दुर्घटनाओं से बचाव हो जाता है ।
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