हर साल भादो मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती है। वैसे साल में तीन बार तीज का त्यौहार मनया जाता है। सालभर में तीन तीज आती है जिसको लेकर महिलाओं में खासा उल्लास रहता है। इन तीन तीज, हरतालिका तीज, हरियाली तीज और कजरी तीज को सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र व कुंवारी कन्याएं अच्छे पति की कामना के लिए करती है। इस साल कजरी तीज 29 अगस्त 2018 को बुधवार के दिन मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की कजरी तीज के दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए इन दिन व्रत किया था। कहा जाता है की मां पार्वती ने शिव जी को पाने के लिए कठोर तपस्या कि थी उसके बाद उन्हें भोलेनाथ प्राप्त हुए थे।
भगवान शिव गौरी मैय्या की होती है पूजा
कजरी तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना की जाती है। इस दिन दोना की संयुक्त पूजा की जाती है। इससे कुंवारी कन्याओं को अच्छा वर प्राप्त होता है। वहीं सुहागिन महिलाओं को सदा सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है। इस दिन गौमाता की विशेष रूप से पूजा की जाती है। आटे की 7 लोइयां बनाकर उस पर घी और गुड़ रखकर गाय को खिलाने की परंपरा भी होती है। इन रितीओं को पूरा करने के बाद ही महिलाएं व्रत तोड़ती हैं।
शीघ्र विवाह के लिए कुंवारी कन्याएं करें ये विशेष पूजा
शास्त्रों के अनुसार कजरी तीज असल में कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष व्रत माना जाता है। कहा जाता है की इस तीज का संबंध शीघ्र विवाह से ही होता है। अविवाहित कन्याओं को इस दिन उपवास रखकर गौरी की पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए। ऐसा करने से कुंडली में कितने भी बाधक योग क्यों न हों, इस दिन की पूजा से नष्ट किए जा सकते हैं। लेकिन इसका सम्पूर्ण लाभ तभी होगा, जब अविवाहिता इस उपाय को स्वयं करें।
कजरी तीज के दिन का इस विधान से करें पूजा
इस दिन उपवास रखना चाहिए तथा श्रृंगार करना चाहिए। श्रृंगार में मेहंदी और चूड़ियों का जरूर प्रयोग करना चाहिए। सायं काल शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना करनी चाहिए। वहां पर घी का बड़ा दीपक जलाना चाहिए। संभव हो तो मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। इस दिन काले और सफेद वस्त्रों का प्रयोग करना वर्जित माना जाता है, हरा और लाल रंग सबसे ज्यादा शुभ होता है।
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