सौरमंडल के नवग्रहों में शुक्र का सबसे अधिक महत्व होता है। आकाश में देखें तो सबसे तेज चमकदार तारा शुक्र ही है। एक शुक्र ग्रह ही ऐसा ग्रह है जिसे आसमान में आसानी से देखा जा सकता है। इसे संध्या और भोर का तारा भी कहते हैं, क्योंकि इस ग्रह का उदय आकाश में या तो सूर्योदय के पूर्व या संध्या को सूर्यास्त के पश्चात होता है। शुक्र ग्रह का सौरमंडल की तरह व्यक्ति की कुंडली में भी बहुत महत्व माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक होता है। साथ ही इसका प्रभाव व्यक्ति के शारीरिक खूबसूरती पर भी पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र की माने तो शुक्र के मजबूत होने से जातक अद्भुत सौंदर्य का धनी होता है और उसे खूबसूरती से संबंधित परेशानियां भी कम ही होती हैं। लेकिन इसके विपरित यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर होता है तो व्यक्ति को सुख-भोग,धन में कमी, दांपत्य जीवन में काफी कठिनाईयों का सामना भी करना पड़ता है। वहीं पुराणों के अनुसार शुक्र ग्रह को दानवों के गुरु कहा जाता हैं। दैत्य गुरु शुक्र दैत्यों की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। शुक्र ग्रह देत्यौं के गुरु होने के बावजूद शास्त्रों के ज्ञाता, तपस्वी और कवि कहलाते हैं। शुक्र ग्रह को सुंदरता का प्रतीक माना जाता है वहीं शुक्र ग्रह के अस्त होने पर उन दिनों में सभी शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।
कुंडली में शुक्र ग्रह के शुभ होने का संकेत
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र मजबूत व शुभ होता है, ऐसे व्यक्ति सुंदर शरीर वाले होते हैं चाहे पुरुष हो या स्त्री उनमें आत्मविश्वास भरपूर रहता है। शुक्र के प्रभाव से वयक्ति काफी आकर्षक व सुंदर होता है। व्यक्ति धनवान और साधन-सम्पन्नता से भरापुर होता है। कवि चरित्र, कामुक प्रवृत्ति का होता है। लेकिन जातक की कुंडली में शनि मंद होता है तो ऐसी परिस्थित में शुक्र भी जातक का साथ छोड़ देता है। शुक्र का बल हो तो ऐसा व्यक्ति ऐशो-आराम में अपना जीवन बिताता है। ऐसे व्यक्तियों की रुची फिल्म या साहित्य में अधिक रहती है।
जातक की कुंडली में अशुभ शुक्र की निशानी
यदि किसी जातक की कुंडली में शुक्र कमजोर होता है या शुक्र के साथ राहु उपस्थित हो तो ऐसे में जातक का दांपत्य जीवन तथा दौलत का असर खत्म हो जाता है। यदि शनि मंदा अर्थात नीच का हो तब भी शुक्र का बुरा असर होता है। इसके अलावा भी ऐसी कई स्थितियां हैं जिससे शुक्र को मंदा माना गया है। अंगूठे में दर्द का रहना या बिना रोग के ही अंगूठा बेकार हो जाता है। त्वचा में विकार। गुप्त रोग। पत्नी से अनावश्यक कलह का होना। सुंदरता व आकर्षण में कमी का होना भी शुक्र का मंदा होना दर्शाता है। इसके अतिरिक्त आपके प्रभाव में कमी होना भी अशुभ शुक्र को दर्शाता है। ऐसे में शुक्र को अनुकूल बनाने के उपाय कर ना सिर्फ हम अपनी खूबसूरती बढ़ा सकते हैं बल्कि मुंहासे, दाग-धब्बे, सफेद दाग जैसे त्वचा सम्बंधी रोगों से निजात पा सकते हैं। चलिए आपको शुक्र को अनुकूल बनाने के उपाय बताते हैं। जिनके आपको ना तो कोई खास मेहनत करनी पड़ेगी, ना ही कोई विशेष विधि विधान करना है।
शुक्र के इन मंत्रों का करें जाप
1. लक्ष्मी की उपासना करें (ॐ महालक्ष्म्यै नमः का जाप करें)।
2. मंत्र : ॐ शुं शुक्राय नम:।
3. "ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।।"
2. मंत्र : ॐ शुं शुक्राय नम:।
3. "ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।।"
शुक्र को मजबूत करने के लिए करें ये उपाय
शुक्र ग्रह को शांत रखने के लिए आप चांदी या प्लैटिनम का छ्ल्ला भी पहन सकते हैं। इसको धारण करने से आपके आसपास की सभी नकारत्मक उर्जा दूर हो जाती है। इसे धारण करने से आपकी सुंदरता में निखार आता है और त्वचा संबंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके लिए आप अंगूठे में चांदी का छल्ला पहनें।
इलायची के पानी से स्नान करना भी लाभदायक होता है। इसके लिए थोड़े से पानी में बड़ी इलायची उबाल लें फिर जब ये ठंडा हो जाए तो उसे नहाने के पानी में मिलाएं और सबसे आखिरी बार इससे स्नान करें। इस उपाय को करते समय शुक्रदेव का स्नान करते समय इस मंत्र का जाप करें "ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।।"
सिर्फ बाहरी तौर पर ही नहीं बल्कि आप खाने में सफेद चीजें का इस्तेमाल करके भी अपना शुक्र मजबूत कर सकते हैं। आप खाने में सफेद चीज़ों का उपयोग कर सकते हैं जैसे साबूदाना, दूध या इनसे बनी चीजों का को खाने में उपयोग कर आप सुंदर व आकर्षक व्यक्तित्व पा सकते हैं। इसके साथ ही अगर आप सप्ताह में एक दिन, विशेषकर शुक्रवार के दिन नमक का त्याग करें तो ये बेहद फलदायी साबित होगा।
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