भारतीय जनता पार्टी के पितृ पुरूष कहे जाने वाले लाल कष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर, 1927 को सुबह नौ बजकर 16 मिनट पर अखंड भारत के कराची शहर ( वर्तमान में पाकिस्तान ) में वृश्चिक लग्न में हुआ था । जन्म नक्षत्र अश्विनी और राशि मेष है । वर्तमान में लेकिन इनकी कुंडली को बारिकी से देखने पर ऐसा लगता हैं कि अगर कुछ ग्रहों ने अपनी चाल बदली तो भविष्य में एक बार फिर देश के सर्वोच्च पद पर बैठ सकते हैं । वैसे भी इनकी कुंडली के कुछ राजयोग वाले ग्रह इन्हें पिछले पांच दशकों तक अनेक महत्वपूर्ण पदों पर बैठा चूके हैं ।
लालकृष्ण आडवाणी जी भाग्यशाली, कुशल राजनीतिज्ञ तो है ही लेकिन कुंडली के अनुसार जन्म के समय चंद्र की स्थिति होने के कारण इनका स्वभाव लोभी प्रवत्ति का था है और हमेशा रहेगा, वहीं मंगल की स्थिति से प्रबल पराक्रमी होते हुए भी विफलता से दुखी एवं चिंतित रहते हैं । इनकी कुंडली में बुधादित्य योग, उभयचर योग, नीच भंग राज योग, भारती योग, केंद्र त्रिकोण राज योग, हर्ष योग, सरल योग, धन योग, बुद्धि चातुर्य योग और पूर्ण आयु योग विद्यमान है । यदि उनका यह जन्म विवरण सही है तो उनकी कुंडली इस प्रकार है ।
ये ग्रह कभी नहीं बनने देगा प्रधानमंत्री
लंबे समय से आडवाणी जी शनि ग्रह की महादशा और इसी ग्रह की अंतर्दशा से गुजर रहे हैं, जिस कारण उन्हें प्रधानमंत्री का पद प्राप्त करने में हमेशा अड़चन रही है और हमेशा रहेगी । लेकिन वे अपनी पार्टी के पितृ पुरूष, प्रमुख पंक्ति के नेता बने रहेंगे ।
बीजेपी के पितृ पुरूष कहे जाने वाले आडवाणी जी की राशि मेष एवं लग्न वृश्चिक है । लग्न में शनि के साथ केतु, पंचम भाव में वक्री गुरू, छठे भाव में चंद्र, सप्तम में राहू, एकादश में शत्रु और द्वादश भाव में सूर्य और मंगल विराजमान हैं । लग्न के केतु ने जहां उन्हें राजनैतिक शख्सियत के रूप में स्थापित किया, वहीं लाभ भाव के शुक्र ने उनके जीवन में अपनी अन्तर्दशा और प्रत्यंतर दशा के कारण अनेक बड़े बड़े लाभ भी मिलते रहे ।
कर्मेश सूर्य के साथ मित्र बुध ने जहां कई बार राजनैतिक पद प्रदान किए वहीं द्वादश के सूर्य ने इन्हें कई बार विवादों में भी रखा । साथ ही लग्नेश और षष्ठेश मंगल ने कभी शत्रु को मित्र तो कभी मित्र को ही शत्रु और शिष्य को ही प्रतिद्वंदी बना दिया, और भाग्येश चंद्र की छठे भाव में मौजूदगी ने इनके भाग्य के उदय में अनेक बार बाधा उत्पन्न करने के साथ इनके मन को भी हमेशा बेचैन रखा है ।
अभी मिल सकता हैं देश का सर्वोच्च पद !
अगर इनकी कुंडली में संयोगवश शनि और शुक्र शायद अपनी चाल बदलते है तो आने वाले कुछ वर्षौ में आडवाणी जी देश के सर्वोच्च पद यानी की राष्ट्रपति बने सकते हैं पर अभी वर्तमान में शनि की महादशा चल रही है और इसकी कुल अवधि 19 साल की हैं । शनि की .ह दशा पिछले 20 अक्टूंबर 2009 से आरंभ हुई है जो आगामी 20 अक्टूंबर 2028 तक रहेगी ।
उपेक्षा का शिकार होते रहेंगे
जन्मकुंडली में शनि की स्थिति आडवाणी जी को कटुभाषी बनाती है जिसके कारण वो अनेक लोगों की नजरों में चुभते है । वहीं जन्म के समय चंद्र की स्थिति लोभी स्वभाव का होने के कारण वे उन्हीं की पार्टी के ही लोगों के द्वारा हमेशा उपेक्षा का शिकार होते रहेंगे, और इस कारण शायद ही कभी ऊंचा स्थान प्राप्त हो पायेगा ।
शुक्र का कमाल
कुंडली के अनुसार जन्म के समय गुरु मीन राशि पर परिभ्रमण कर रहा था और कुंडली में बैठे शुक्र की स्थिति के कारण जीवन में सुख मिलता रहा और आगे भी रहेगा । लेकिन शुक्र के कारण आडवाणी अपने बयानों के कारण विवादों में आते रहे हैं । अपने गुण व कीर्ति का ह्रास करते हैं । पार्टी के खास और नजदीकी लोगों को अपना बैरी बना लेते हैं ।
बीमार भी रहेंगे
वर्तमान समय में आडवाणी शनि ग्रह की महादशा और इसी ग्रह की अंतर्दशा से गुजर रहे हैं । जो कि स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है इसलिए बीमार भी रहेंगे ।
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